राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के सामने चुनौती आठवें उम्मीदवार के जीत की है. जीत की गारंटी विपक्ष में सेंधमारी से ही संभव है. बीजेपी को जीत के लिए अतिरिक्त 10 वोटों की जरूरत है. इसके लिए पार्टी के नेता जोड़तोड़ की रणनीति में लगे हैं. चुनौती दो तरह की हैं. समाजवादी पार्टी के विधायकों का जुगाड़ करना है. साथ ही अपना घर भी बचाना है. तकनीकी रूप से समाजवादी पार्टी को सिर्फ एक अतिरिक्त वोट की जरूरत है. बीजेपी यूपी में सत्ता में है. यही उसके लिए सबसे बड़ी ताकत है. बीजेपी के साथ उसके तीन सहयोगी दल हैं. इन्हीं पार्टियों पर समाजवादी पार्टी की नजर है. इन सहयोगी दलों के विधायक ही कमजोर कड़ी बन सकते हैं. समाजवादी पार्टी ने इनके पीछे पूरी ताकत झोंक दी है.
यूपी में बीजेपी के तीन सहयोगी दल हैं. इनके समर्थन से ही बीजेपी के सभी आठों उम्मीदवार जीत सकते हैं. अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल के 13 विधायक हैं. यूपी में बीजेपी की सबसे पुरानी और भरोसेमंद सहयोगी पार्टी अपना दल है. ओम प्रकाश राजभर का तो आना-जाना लगा रहा है. वे बीजेपी के साथ आए, फिर अखिलेश यादव के साथ भी रहे. अब फिर से उनकी एनडीए में घर वापसी हो गई है. राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के छह विधायक हैं.
बीजेपी का तीसरा सहयोगी दल निषाद पार्टी है. योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद इसके अध्यक्ष हैं. उनके एक बेटे बीजेपी से लोकसभा सांसद हैं, लेकिन जानकारी मिली है कि उनकी पार्टी के कुछ विधायक इधर-उधर हो सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि निषाद पार्टी के दो विधायकों पर समाजवादी पार्टी डोरे डाल रही है. अगर ऐसा हुआ तो फिर बीजेपी का आठवां उम्मीदवार फंस सकता है. इसीलिए बीजेपी नेतृत्व अलर्ट हो गई है.
बीजेपी ने सहयोगी दलों के नेताओं के साथ की बैठक
लखनऊ में बीजेपी ऑफिस में आज सहयोगी दलों के नेताओं संग मीटिंग हुई. इस बैठक में अपना दल के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल को बुलाया गया था. वे योगी सरकार में मंत्री भी हैं. ओम प्रकाश राजभर लखनऊ से बाहर थे. इसीलिए उनसे फ़ोन पर ही बात कर ली गई. बैठक में निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी शामिल हुए. बीजेपी की तरफ से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और संगठन मंत्री धर्मपाल सैनी मौजूद रहे. दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को भी बुलाया गया था.
बैठक में दोनों मुद्दों पर चर्चा हुई. समाजवादी पार्टी के किस-किस विधायक का वोट लिया जा सकता है. साथ ही इस पर भी मंथन हुआ कि सहयोगी दल का कोई विधायक क्रॉस वोटिंग तो नहीं कर सकता है. सहयोगी दलों के सभी विधायकों से बातचीत हुई. सहयोगी दलों के अध्यक्षों को जिम्मेदारी दी गई है कि उनके सभी विधायक बीजेपी के लिए वोट करें.
लोकसभा चुनाव के पहले रिस्क नहीं लेना चाहती है बीजेपी
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी राज्य सभा में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. बीते बुधवार को सीएम योगी आदित्यनाथ के घर पर बीजेपी के कोर कमेटी की बैठक हुई थी. इसमें भी राज्य सभा चुनाव पर ही मंथन हुआ. समाजवादी पार्टी के कौन कौन विधायक क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं, उनकी लिस्ट बनाई गई. कोर कमेटी की मीटिंग में दोनों डिप्टी सीएम, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और संगठन मंत्री भी शामिल हुए